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परिचय:-

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सिर चकराना (वर्टिगो) एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रभावित व्यक्ति खुद को संतुलित करने की शक्ति खो देता है और उसे अपनी या आसपास की वस्तुओं की हरकतों के बारे में गलत अनुभूति होती है और रोगी को अपना सिर अथवा संपूर्ण शरीर अपने चारों ओर की वस्तुएँ घूमती प्रतीत होती है।

  • सामान्यतः उम्र बढ़ने के साथ-साथ माइग्रेन के दौरों की तीव्रता एवं आवृत्ति घटती जाती है।

वर्टिगो (Vertigo) ऐसा लगता है जैसे सब कुछ घूम रहा है, वातावरण घूम रहा है. घर घूम रहा है, अपन स्वय घूम रहे हैं। ऐसी भ्रम की स्थिति में जो अस्थिरता और बेचैनी का अनुभव होता है और सिर चकराने लगता है, इसे वर्टिंगो यानी चक्कर आना कहते हैं।

सिर का चक्कर आने के प्रमुख कारण और उनके पहचान:-

सिर का चक्कर आने के निम्न कारण और अनेक पहचान है…

सिर का चक्कर आने के प्रमुख कारण:-

  • अत्यधिक मानसिक परिश्रम।
  • अत्यधिक शुक्र क्षय।
  • मादक पदार्थों का अधिक सेवन।
  • हृदय एवं वृक्क रोग।
  • निम्न रक्त दाब (हाइपोटेन्शन)।
  • मलेरिया ज्वर में क्विनीन का अधिक सेवन।
  • देर रात जगने के कारण।
  • धिक अध्ययन एवं चिन्ता।
  • मस्तिष्क में रक्त की अधिकता या कमी।
  • स्त्रियों में मासिक धर्म के बन्द होने से।
  • सेरिब्रोवेस्कुलर डिजीज ।
  • लेबीरिन्थ की धमनी में स्पाज्म के होने से।
  • जुकाम के कारण यूस्टेशियन ट्यूब तथा मध्य कर्ण के शोथ के परिणामस्वरूप।
  • युवा व्यक्तियों तथा वृद्धों में मस्तिष्क धमनीगत रक्तावरोध को भ्रम का सामान्य कारण माना जाता है।
  • विषैली औषधियाँ यथा- ‘स्ट्रेप्टोमाइसीन’ का श्रवण तंत्रिका पर विषाक्त प्रभाव पड़ने से।
  • अन्य कारण- पैरालिसिस (ऑकुलर मीजिल्स) मोशन सिकनेस, मस्तिष्क पर चोट, कनफेड कानों में आवाज (टिन्नीटस) आदि कारण।

सिर का चक्कर आने के प्रमुख लक्षण/ पहचान:-

  • रोगी का सिर चकराता है।
  • रोगी अपने चारों ओर की वस्तुओं को घूमता हुआ या स्वयं को वस्तुओं के चारों ओर घूमता हुआ अनुभव करता है।
  • आँखों में सामने अँधेरा दिखाई देता है। ऊपर देखने अथवा एक तरफ ताकते रहने से उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे- बिस्तर मकान, सभी गोलाई में घूम रहे हैं। कभी-कभी रोगी गिर जाता है अथवा हाथों से किसी चीज को पकड़ कर उसका सहारा ले लेता है।
  • रोगी का शरीर-पीला एवं ठंडा हो जाता है।
  • कानों में धू-धू की आवाज एवं कम सुनाई देने लगता है।
  • कभी-कभी वमन एवं मितली (Nausea & vomiting) होने लगती है।
  • किसी-किसी रोगी में ‘कर्णनाद’ रुक-रुक कर अथवा लगातार। खासकर रात को अधिक।
  • कभी-कभी वमन, मितली के साथ-साथ ठंडा पसीना, अतिसार, तीव्र नाडी सिनकोप आदि लक्षण होते है।
  • शरीर में पीलापन होने लगता है।
  • एक अथवा दोनों आँखें चंचल सी दिखयी पडती है।

नोट:- यह अवस्था कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रह सकती है। इसके बाद रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।

याद रखिये‌:-

  • रक्ताल्पता (Anemia), जीर्ण प्रतिश्याय, कृमि रोग, कब्ज, रजोनिवृत्तकाल, कर्णगूथ का दबाव, यूस्टेचियन ट्यूब का अवरोध एवं टेंपेनिक मेंब्रेन की व्याधियों में इस रोग के लक्षण मिलते हैं।
  • उच्च रक्त चाप, मस्तिष्कगत रक्तवाहिनी के विकार मेनिचयर्स सिंड्रोम आदि व्याधियों में भ्रम एक प्रधान लक्षण के रूप में मिलता है।

वर्टिगो (Vertigo) रोग की पहचान:-

  1. कानों में ध्वनि और बधिरता से रोग की पहिचान होती है।
  2. ऑडियोग्राम से तत्रिका की बधिरता का पता चलता है।

वर्टिगो रोग के परिणाम:-

  • अधिकांश रोगी चिकित्सा से ठीक हो जाते हैं। कुछ रोगियों की शल्य चिकित्सा की आवश्यकता पडती है।
  • लेबीरिन्थ एव लघुमस्तिष्क आदि अंगों की विकृति से उत्पन्न रोग कठिनाई से ठीक होता है।

वर्टिगो (Vertigo) रोग की चिकित्सा विधि:-

  • रोगो के कारण की चिकित्सा करें।
  • कब्ज (Constipation) को दूर करें। ऐसी व्यवस्था करें ताकि गैस न बने।
  • मध्यकर्ण शोथ को दूर करें।
  • यदि सिफिलिस के लक्षण मिलें तो उसकी चिकित्सा करें।
  • पाचन संस्थान’ (Digestive System) तथा ‘नाडी संस्थान’ को सफल बनाने का यत्न करें।
  • चिकित्सा से पूर्व ‘टेम्पेनिक मेम्ब्रेन’ तथा श्रवण यंत्र के विकार तथा रक्त चाप की चिकित्सा की ओर विशेष ध्यान आवश्यक है।
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सिर चकराना की चिकित्सा के घरेलु उपचार:-

  • पानी कम पिलावें। सात्विक भोजन दें। प्रातः टहलना विशेष उपयोगी रहता है।
  • रोगी को शान्त तथा अधेरे कमरे में रखें।
  • सिर पर शीतल प्रयोग तथा घी की मालिश करायें।
  • मद्य, बीड़ी, सिगरेट, चाय, तम्बाकू आदि कुछ समय के लिये बिलकुल बंद करा दें।
  • रोगी को शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम से बचायें।
  • यूस्टेचियन ट्यूब में वायु प्रवेश करने से लाभ की पर्याप्त आशा होती है।
  • रक्त की कमी (Anemia) में निकोटिनिक एसिड दें।

स्ट्रेप्टोमाइसीन के विषैले प्रभाव से उत्पन्न भ्रम रोग में औषधि बंद करके पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी-कॉम्पलेक्स का सेवन करावें।

सिर चकराने की औषधि चिकित्सा:-

  • गार्डनल 30 मि. ग्रा. दिन में 3 बार दें। साथ ही रात में एस्प्रिन (Asprin) 2 ग्राम की मात्रा में दें।
  • हिस्टामिन एसिड फॉस्फेट (Histamin acid phosphate)-सप्ताह में 2 बार माँसपेशीगत।
  • सिफिलिस आदि की लाक्षणिक चिकित्सा ।

नोट- जैसे ही रोग का आक्रमण हो, रोगी को शात अंधेरे कमरे में रखकर सेडेटिव औषधि दें। दौरा शात होने पर मुख्य कारण की खोज कर तदनुसार चिकित्सा करें।

मेडिसिनल ट्रीटमेंट में:-

इंजेक्शन केलंपोज (Inj Calampose) 1 मिली मात्रा में दिन में 2 बार। या फिर स्टेमेटिल (Stemetil) 125 मि. ग्रा. टिकिया।1 टिकिया दिन में 2 बार। या फिर टैबलेट मार्जीन (Tab Marzine) 25 मि. ग्राम कि 1 टिकिया दिन में 3 बार दे।

यदि रोगी मुख से औषधि लेने लायक न हो तो ग्लूकोज (5%) 500-2000 मिली की मात्रा में शिरा मार्ग से ड्रिप रूप में दें।

सिर चकराने के दौरों से बचाव के लिए कुछ दवाऔर उपाय:-

  • अधिक नमक तथा पानी से बचाव।
  • लेबीरिन्थ का व्यायाम।
  • टैबलेट वर्टिन (Tab. Vertin) 1-1 टिकिया, दिन में 3 बार 1 से 4 सप्ताह तक + टैबलेट वेलियम (Tab. Velium) 5 मि. ग्रा. टिकिया। 1 टिकिया दिन में 2 या 3 बार।

नोट- बेसीटोन फोर्ट (Basiton Forte) साराभाई की एक-एक टिकिया दिन में 3 बार खाने के बाद देने से सब प्रकार की दुर्बलता दूर होकर सिर चकराने में लाभ मिलता है।

चेतावनी:- ‘वर्टिंगो’ तथा ‘मेनियर्स’ दोनों सम्मिलित रोग हैं। अतः दोनों की चिकित्सा भी एक ही समान है।

सिर चकराने की लक्षणों अनुसार इलाज:-

  1. किसी कारण से सिर चकराता है तो ये दावा देना चाहिए टैबलेट वर्टिन (Tab Vertin) 1 टिकिया, सीलिन (Celin) 100 मि.ग्रा. 1 टिकिया स्टेमेटिल (Stemetil) 1 टिकिया, फीनोबा वीटोन 1 टिकिया, पाइरीडोन (Pyridone) 10 मि.ग्रा.। ऐसी 1-1 मत्रा दिन मे 3 या 4 बार दे।
  2. अकस्मात बिलकुल सुनाई ना दे तो उसको पूर्ण विश्राम दें एवं टैबलेट ‘लूमीनाल (Luminal) 30 मि. ग्रा. की 1 टिकिया दिन में 2 या 3 बार दें।
  3. यदि रोगी सुनाई न देने के 4 घंटे बाद आया हो तो उसको इंजेक्शन ‘एट्रोपीन’ 0.75 मि. ग्रा., का माँस में लगाएँ। टैबलेट’ ‘आलीर्डिन’ 6 मि. ग्रा. की टिकिया दें। अथवा टैबलेट ‘बेटनीलान’ 5 मि.ग्रा. की 2-2 टिकिया दिन में 3 बार 10 दिन तक दें।
  4. वृद्ध रोगी में यह उपाय काम में लाएँ मल्टिबिओटा (Multibionta) ‘मर्क’ का 1 कैप्सूल नित्य दें। तीव्र दशा में 1 एम्पुल की औषधि को 250 मि.ली. इंफ्यूजन लिक्विड में मिलाकर आई. वी. दें अथवा ‘ऑप्टिन्यूरॉन’ (लूपिन) 3 मि.ली. का माँस या शिरा में लगाएँ। सवधानः- शिरा में इंजेक्शन लगाते समय औषधि को कम से कम 25 मि. ली ग्लूकोज के साथ घोल कर शिरा के माध्यम से लगाए।
  5. कान के अंदर की सूजन या कान के रोगों से सिर चकराना पर उस मरीज को ये दावा दे स्टेमेटिल’ (Stemetil) ‘रोन पोलैंक’ 5 मि.ग्रा. की 1-1 टिकिया दिन में 3 बार दें 2 सप्ताह बाद मात्रा कम करके 1-1 टिकिया दिन में 2 बार दें।
  6. वाहन में यात्रा करते समय सिर में चक्कर आने लगे तो उसको एवोमिन (Avomin) 50 मि.ग्रा. की 1-1 टिकिया 3-3 घण्टे बाद दें।
  7. रक्तवाहिनियों की विकृति से उत्पन्न सिर चकराने में प्रिस्कोल (Priscol) सीबा कं. की 1-2 टिकिया भोजन के बाद दिन में 3-4 बार दें।

सिर चकराने की समस्या के लिए सर्वोत्तम मिश्रित औषधि चिकित्सा (Combination Therapy):-

सिर चकराने की समस्या
सिर चकराने की समस्या
  1. स्टेमेटिल (रोल-पुलेन्क) 5 मि. ग्रा. की 1 टिकिया, मैक्राफ्लेवीन आयरन (ग्लैक्सो) 1 टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 3 बार जल से दें।
  2. मैक्सेरॉन लिक्विड (कार्टर वालेस) 1 चम्मच, डिलिगन (यूनि. यू. सी. बी.) 1 टिकिया, डायेट्रिनेट (यूनिक) 1 टिकिया। गोलियों को पीस कर सीरप में मिला लें। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2 बार दें।
  3. वर्टिन (डूफार) 2 टिकिया, बेसींटोन फोर्ट (Basitone Forte) 1 टिकिया। दोनों को मिलाकर दिन में 2 बार दें।
  4. एस्केजीन (Eskazine) ‘एसकेएफ’ 1 टिकिया, थेराग्रान (Theragran) ‘साराभाई’ 1 टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2 बार दें।
  5. ड्रामामीन (सर्ले) 1 टिकिया + फॉस्फोमिन लिक्विड 2 चम्मच। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2या 3 बार आवश्यकतानुसार दें।

सिर चकराने के लिए नवीनतम ऐलो. पेटेंट दवाइयाँ: टैबलेट, कैप्सूल और सीरप:-

  1. एवोमिन (Avomine) ‘रोन-पुलेन्क’ 1 टिकिया रात एवं यात्रा करते समय।
  2. डिलीगान यूनी-यू. सी. बी. (Diligan- Uni. U. C. B) 1/2-1 टिकिया दिन में 3 बार। सावधान-गर्भावस्था में प्रयोग न करें।
  3. ड्रामामीन (Dramamine) ‘सर्ले’ 1-2 टिकिया दिन में 3-4 बार दें। इसका ‘तरल’ भी आता है।
  4. ग्रेवोल (Gravol) ‘वालेस’ 1-2 टिकिया आवश्यकतानुसार 4 घंटे पर दोहरावें। ‘मिनियर्स सिंड्रोम’ में लाभकारी है।
  5. प्रेग्नीडोक्सिन-यूनि यू. सी. बी. (Pregni- doxin Uni U. C. В.) 1-2 टिकिया रात सोते समय दें।
  6. स्टेमेटिल (Stemetil) ‘रोन-पुलेंक’ 1-2 टिकिया आवश्यकतानुसार दें।
  7. वर्टिन (Vertin) ‘डूफार’ 1-2 टिकिया दिन में 3 बार भोजन के बाद। सावधान-गर्भावस्था, दुग्धावस्था एवं 12 साल से कम आयु के बच्चों को न दें।
  8. सिनजान (Cinzan) ‘एफडीसी’ 1 टिकिया दिन में 3 बार । बालक 1/2-1 टिकिया। सावधान-गर्भावस्था में प्रयोग न करें।
  9. डिजीरोन (Diziron) ‘ग्लीनमार्क’ 1 टिकिया प्रति 12 घंटे पर दें।
  10. स्टूगेरोन (Stugeron) ‘इथनॉर’ 1-2 टिकया दिन में 3 बार दें।
  11. स्टूगेरोन फोर्ट ‘इथनॉर’ 1 टिकिया सोते समय अथवा आवश्यकतानुसार।
  12. प्रिस्कोफेन (Priscophen) ‘सीबा’ 1-1 टिकिया दिन में 3 बार भोजन के बाद।
  13. डोमस्टाल (Domstal) ‘टोरेण्ट’ 20-40 मि. ग्रा. दिन में 3 बार अथवा आवश्यक- तानुसार प्रतिदिन ।
  14. नोरमेटिक (Normetic) ‘लूपिन’ 10 मि. ग्रा. की 1-1 टिकिया दिन में 3 बार।
  15. सिस्पेरीडोन (Sysperidon) ‘सिस्टोपिक’ 10-20 मि. ग्रा. की एक टिकिया दिन में 3 बार।
  16. मार्जीन (Marzine) ‘बरोज बेलकम’ 50 मि. ग्रा. की 1 टिकिया दिन में 3 बार।
  17. नोर्मोडिल (Normodil) ‘मेजदा’ 10 मि. ग्रा. की 1-1 टिकिया दिन में 3 बार।
  18. मेक्सेरोन (Maxeron) ‘वालेस’ 1/2-1 आवश्यकतानुसार।
  19. इण्डोपेस (Indopace) ‘थेमिस’ 3-6 मि. ग्रा. प्रति किलो शरीर के भार के अनुपात से 3-4 मात्राओं में बांट कर दें।

सिर चकराने में लगाने योग्य ऐलोपैथिक पेटेंट इंजेक्शन: वर्तमान विकल्पों की सूची:-

  1. इस्केजीन (Eskazine) ‘स्मिल क्लिन’ तीव्र दशा में इसके एक एंपुल की सुई मांस में लगावें।
  2. स्टेमेटिल (Stemetil) रोन-पुलेंक’ 1 मि. ली. (1 एम्पुल) गहरे माँस में लगायें। नोट-इसके साथ में इसकी 1-2 टिकिया आवश्यकतानुसार दिन में 2 या 3 बार दे।
  3. पेलोनिन (Pelonin) ‘ग्लैक्सो’ 2 मि. ली. माँस या नस में धीरे-धीरे लगाएँ।
  4. लूमीनाल सोडियम (Luminal Sodium) ‘बेयर क.’ 1 एम्पुल की औषधि को डिस्टिल्ड बाटर में घोलकर माँस में दें।
  5. प्रोस्टिग्मीन (Prostigmin) ‘रोशे 1 मि. ली. की सुई माँस में लगावें।
  6. निकोटिनिक एसिड (Nicotinic Acid- B.C. Co.) ‘बंगाल कैमिकल्स’ 50 से 100 मि. ग्रा. का इंजेक्शन ‘नस’ में दिन में 2 या 3 बार लगाएँ।
  7. इमेसेट (Emeset) सिपला 2-4 मिली I/V धीरे-धीरे दिन में 1-2 बार लगायें।
  8. सिक्विल (Siquil) ‘साराभाई 1-3 मि. ग्रा. में इंजेक्शन प्रति 4 घंटे बाद आवश्यकतानुसार लगाते रहें।
  9. ऑप्टिन्यूरॉन (Optineron) ‘लूपिन’ 3 मिली. नितम्ब के गहरे मांस में या शिरा में प्रतिदिन लगवाते रहें।
  10. पॉलीवियोन (Polybion) ‘मर्क 1-2 मिली माँस में सप्ताह में 2-3 बार इंजेक्शन लगवाते रहें।
  11. न्यूरॉक्सिन-12 (Neuroxin-12) एल्डेक 1 एम्पुल एक दिन छोड़कर कम से कम 4 एम्पूल दें।

महत्वपूर्ण निर्देश:-

कुछ दिनों तक बेड रेस्ट करें और शारीरिक गतिविधियों को सीमित रखें। नमक का सेवन पूरी तरह बंद कर दें, क्योंकि इससे आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दिन भर में केवल 3 कप तरल पदार्थ ही लें और किसी भी प्रकार का धूम्रपान न करें, क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

ये ब्लॉग सिर्फ जानकारी के लिए है कोई भी दवा का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य संपर्क करे !

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