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नाम- सिर में महसूस की जाने वाली पीड़ा। शिरः शूल।

परिचय – सिर में पीडा, भारीपन अथवा किसी भी प्रकार के अरुचिकर संवेद को सिर दर्द कहते हैं।

  • सिरदर्द जो तीव्र अथवा जीर्ण हो सकता है और पूरे सिर में, माथे में शंख प्रदेश में पश्च कपाल क्षेत्र में सिर के एक पार्श्व में अथवा सिर के ऊपरी भाग में हो सकता है।

सिर में दर्द, भारीपन या किसी प्रकार का अरूचिकर संवेद को सिरदर्द कहते हैं। यह तीव्र या पुराना हो सकता है। दर्द सिर के पूरे भाग में या सिर के किसी एक भाग में हो सकता है। यह अपने आप में कोई रोग न होकर किसी रोग का लक्षण होता है।
दर्द किसी बीमारी से संबंधित भाव वाचक विचार है, जो कि रोगी को महसूस होता है। यह भावात्मक अहसास कई बार बीमारी का सार अर्थात् मुख्य तत्व भी होता है। विभिन्न रोगी विभिन्न बीमारियों में, दर्द को विभिन्न प्रकार से व्यक्त करते हैं।

निरतर सिरदर्द के विशेष कारणों के अंतर्गत अम्ल पित्त रोग एवं नेत्र रोग में होने वाला मोतिया (ग्लोकोमा) भी जिम्मेवार है।

सिर दर्द/हेडेक (HEADACHE)
सिर दर्द/हेडेक (HEADACHE)

सिर दर्द का प्रकर-

सिरदर्द आमतौर से दो प्रकार का होता है-

  • खून की वाहिकाओं द्वारा होने वाला
  • तनाव या मांसपेशियों के सिकुड़ने से होने वाला सिरदर्द।
    सिर दर्द के अनेक कारण होते हैं, इसलिए मामूली दर्द होने पर भी डॉक्टर से अवश्य परीक्षण कराइये। अपने मन से अंधाधुंध दवाइयाँ खाना या लापरवाही बरतना घातक सिद्ध हो सकता है।

सिरदर्द के रोगो क प्रमुख कारण और उनके प्रमुख लक्षण –

रोगो के प्रमुख कारण-

  • उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति में सुबह सोकर उठने पर पश्च कपालिक क्षेत्र में दर्द होना।
  • मस्तिष्क के रोगों, जैसे-प्रमस्तिष्क धमनी काठिन्य, प्रमस्तिष्क ऐथिरो काठिन्य, प्रमस्तिष्क घनास्रता, प्रमस्तिष्क रक्तस्राव, मस्तिष्कावरण शोथ (Meningitis) मस्तिष्क धमनी विस्फार, मस्तिष्क के फोडे एवं मस्तिष्क के अर्बुद आदि में सिर में दर्द का होना।
  • गले के रोगों के कारण; जैसे ग्रसनी शोथ, तुण्डिका शोथ या टॉन्सिलाइटिस तथा कंठशालूक या एडीनोयड में सिर में दर्द होना।
  • ज्वर में सिर में दर्द होना, जैसे-मलेरिया तथा टाइफॉयड (Typhoid) ज्वर में होता है।
  • कुछ सार्वदैहिक रोगों जैसे अग्निमांद्य या दुष्पचन, कब्ज (Constipation), खून की कमी (anaemia), मधुमेह, यूरीमिया के साथ वृक्क शोथ, रुमेटिज्म या आमवात तथा सिफिलिस आदि में सिर में दर्द होना।
  • मस्तिष्क रोग हिस्टीरिया आदि मानसिक रोगों में सिर दर्द होना।
  • मध्य कर्ण के रोग जैसे-मध्य कर्ण शोथ में सिर में दर्द होना।
  • बहिर्जात विषैले कारक- ऐसे कमरे की अशुद्ध वायु जिसमें हवा निकलने के लिये रोशनदान या खिडकी न हो, विषैली गैसें, औषधियाँ जैसे-कुनीन, मॉर्फीन, एट्रोपीन तथा हिस्टामीन आदि, तम्बाकू तथा ऐल्कोहॉल आदि. जिनमें हिस्टामीन अधिक मात्रा में होता है।
  • अन्तर्जात विषैले कारक– नाक, विवरों, दाँतों, गले, टान्सिलों, मध्य कर्ण, पित्ताशय, एपेण्डिक्स एवं फ्लू आदि के जीवाणु संक्रमण जीवविषों के अवशोषण से सिर में दर्द होना।
  • विशिष्टतया स्त्रियों में- मासिक धर्म के समय, कष्टार्तव में, मासिक धर्म से पूर्व तनाव में, रजोनिवृत्ति काल में तथा गर्भावस्था मे सिर मे दर्द होन।
  • मिश्रित कारण- सिर पर बाह्य दबाव पड़ने अथवा सिर के भिच जाने पर सिर में चोट लगने, लू लग जाने पर, ऊँचाई पर यात्रा करने तथा शारीरिक अथवा मानसिक थकान के कारण भी सिर में दर्द हो जाता है।

नोट- यह आघात से या मानसिक तनाव से अथवा आन्तरकपालीय विकार के कारण उत्पन्न हो सकता है।

रोगो के प्रमुख लक्षण-

  • यह एक कष्टकर लाक्षणिक व्याधि है।
  • तीव्र दर्द में रोगी उठ-बैठ भी नहीं पाता है।
  • रोगी को नींद नहीं आती है।
  • कभी-कभी अत्यधिक बेचैनी होने लगती है ।
  • वमन और मितली भी होती है।
  • प्रायः सिर दर्द कपाल के सामने दोनों कनपटियों में या पीछे की ओर होता है। यह दर्द 2-3 दिन तक चल सकता है।
  • स्नायु दुर्बलता, गैस के रोगी एवं रक्तचाप (Blood pressure) के रोगी में रात-दिन सिर दर्द रहता है।
  • उच्च रक्त दाब के रोगी में सिर फटने जैसा दर्द होता है ।
  • तनाव से उत्पन्न दर्द में- सिर में दर्द युक्त दबाव अथवा जकड़ाहट होती है।
  • मस्तिष्क के अर्बुद में दर्द प्रायः प्रातः समय होता है।
  • खाँसने, झुकने और जोर लगाने से सिर में प्रेशर बढ़ता है।
  • यकृत तथा पित्ताशय के विकार, कब्ज, स्त्रियों में आर्तव की अनियमितता, रक्त की कमी तथा कृमि रोग आदि व्याधियों से ग्रसित रोगियों में हल्की रूप की पीड़ा होती है।
  • चिंता, क्रोध आदि मानसिक कारणों का सिर दर्द से घनिष्ठ सम्बन्ध प्रतीत होता है।
  • मस्तिष्कावरण शोथ (Meningitis), तीव्र ज्वरों की विषमयता की स्थिति एवं अन्य विषमतायें, समलवाय, अर्धावभेदक आदि रोगों से ग्रसित व्यक्तियों में बड़े जोर का सिर दर्द होता है।
  • चिन्ता, क्रोध आदि मानसिक कारणों से कष्ट कर सिर दर्द रोगी को अशान्ति देता है।
  • आँख, कान, नाक, अस्थि विकार एवं गर्दन के रोगों में एवं वेदनामूलक विकारों में शिरःशूल का कष्ट अवश्य देखने को मिलता है।
  • ज्वरों, मदात्यय, सिर की चोट, मस्तिष्कावरण के नीचे रक्तस्राव, लम्बर पंचर, अंशुघात से उत्पन्न सिर दर्द तीव्र स्वरूप के और आकस्मिक होते हैं।

संक्षेप में- सिर में दर्द हल्का सा भी होता है और इतना भयंकर भी होता है कि रोगी उठ-बैठ भी नहीं पाता है। नींद मारी जाती है। कभी-कभी सिर दर्द इतना तीव्र हो जाता है कि रोगी पागलों की भाँति बेचैन रहता है। साथ में मितली एवं वमन (Nausea & Vomiting) भी मिलता है।

दर्द कपाल के सामने दोनों कनपटियों में या पीछे की ओर हुआ करता है, जो 36 से 48 घंटे तक रह सकता है। कुछ ऐसी अवस्थाएँ हैं जैसे पेट की गैस (Gas trouble), स्नायु दुर्बलता तथा रक्त चाप (Blood Pressure) के रोगी को रात-दिन ही सिर दर्द बना रहता है।

सिर दर्द के चिकिस्ता कि विधि और उसके घरेलु उपचार:-

सिर दर्द के चिकिस्ता कि विधि:-

  • सिर दर्द कोई रोग नहीं बल्कि एक लक्षण मात्र है अतः जिन कारण से सिर दर्द हो उसे दुर करे
  • ऐसी व्यवस्था करें जिससे रोगी को मलावरोध (Constipation) न रहे।
  • पेट मे गैस नही बनना चाहिये।
  • शिरोवेदना का कारण तनाव हो तो प्रशान्तक (Tranquiliser) औषधियों का प्रयोग करना चाहिये।
  • संक्रमण हेतु हो तो उपयुक्त ‘एंटिबायोटिक्स’ का प्रयोग किया जाता है।

नोट- कारण ज्ञात न होने पर वेदनाहर औषधि दी जाती है अन्यथा कारण को दूर करना होता है।

सिर्दर्द को दुर करेंगे ये घरेलु नुख्से
सिर्दर्द को दुर करेंगे ये घरेलु नुख्से

सिर दर्द के घरेलु उपचार:-

  • खाने-पीने के लिये साठी चावल, परवल, सहजन, बथुआ, करेला, आम, अंगूर, नींब मट्ठा, नारियल एवं दूध दें। मस्तिष्क की कमजोर दशा में बादाम का हलुआ जैसी पौष्टिक चीजें देनी चाहिये।
  • दिन में सोना, पानी में डुबकी लगाना त्तक एवं कब्ज करने वाले भारी पदार्थों का सेवन रना हानिकारक होता है।
  • सहायक उपचार- रोगी को ठंडे अथवा शीतल कमरे में पूर्ण आराम के साथ रखें। पानी से भिगोया शीतल कपड़ा लाभकारी होता है। इसे माथे पर रखें अथवा सूखे कपड़े से सिर को बाँधे।
  • आनुषांगिक चिकित्सा- अमृतांजन, विक्स वेपोरब अथवा अन्य कोई वाम माथे पर मलवायें। इसके लिये लिनीमेण्ट कैम्फर का उपयोग किया जा सकता है। बीच-बीच में रोगी को हल्की चाय पिलाते रहें। पुराने घी की मालिश शान्तिप्रद होती है।
  • सब प्रकार के शिरःशूल में एस्प्रिन औषधियों लाभकारी नहीं होता है।
  • औषधि चिकित्सा के साथ-साथ चिंता तथा मानसिक असुंतलन जन्य कारणों से रोगी को बचाना चाहिए।

सिर दर्द कि दवा‌‌-

ऑक्सेजीपाम (Oxazepam) 15 मि. ग्रा.- जिसका ट्रेड नाम सेरिपेक्स (Seripex) है इस दवा को आप 1-1 टिकिया दिन मे 2 या 3 बार या आवश्यकता अनुशार दे सकते है या फिर आप नोवल्जिन (Novalgin) ‘होचेस्ट’ 1-1 टिकिया दिन में 2 या 3 बार दे सकते है। अथवा टेबलेट डायजीपाम (Tab. Diazepam) जिसका ट्रेड नाम टेबलेट काम्पोज (Tab. Calmpose) 1-1 टिकिया दिन मे 3 बार दे सकते है या फिर आप सैरीडोन 1-2 टिकिया दिन मे 3-4 बार 4-4 घंटे पर दे सकते है।

सिर दर्द की लक्षणों के अनुसार अनुभूत चिकित्सा-

  1. सामान्य सिरदर्द होने पर– ‘नोवाल्जिन’ (होचेस्ट) 1-2 टिकिया दिन 2-3 बार। अथवा सेरीडोन की 1-1 टिकिया आवश्यकतानुसार दें।
  2. कब्ज के साथ सिर मे दर्द होने पर कैस्टर आयल 2-2 चम्मच गर्म दुध मे सोते समय दे या फिर ‘क्रिमाफिन 2 चम्मच सोते समय दे।
  3. बुखार के साथ बहुत तेज सिर दर्द होने पर फेबरेक्स प्लस’ (इंडोको) की 1-1 टिकिया दिन में 2 या 3 बार दें। या फिर ‘डिस्प्रिन ‘रिकेट एण्ड कोल्मन’ की 1-1 टिकिया दिन में 2-3 बार दें।
  4. अत्यधिक परिश्रम से उत्पन्न सिर दर्द में न्यूरो ट्रासेंटीन (Neuro-Transentin) (सीबा क) 1-2 टिकिया दिन में 3 बार दें। अथवा ‘सेरीडोन’ की 1-1 टिकिया दिन में 2 बार या आवश्यकतानुसार दें।
  5. नजला, जुकाम, फ्लू से उत्पन्न सिर दर्द में ‘फेबरेक्स प्सल’ की 1-1 टिकिया दिन में 2 बार दें। अथवा कोसाविल (होचेस्ट) या ‘केफी- मिडोन’ (सिपला) या कोल्डारिन की 1 टिकिया दिन में 2-3 बाद दें।
  6. घबराहट या चिंता से उत्पन्न सिर दर्द में इक्वाजेसिक’ (वाइथ) अथवा डेप्रीसाल (Dep- risal) (स्थिमक्लिन) की 1-1 टिकिया दिन में 2-3 बार दें।
  7. एलर्जी से उत्पन्न सिर दर्द में ‘विकोरिल’ (Vikoryl- एलेंबिक) या ‘डिस्ट्रान’ (ज्योफरी मैनर्स) की 1-1 टिकिया दिन में 2 या 3 बार दें। या कोरीसिडिन-एफ (Corici din-F) फुलफोर्ड 1 कै. दिन में 3-4 बार दें।
  8. मानसिक व्यथा से उत्पन्न सिर दर्द ‘इक्वानिल’ 400 मि. ग्रा. की 1 टिकिया दिन में 2 बार दें।
  9. अजीर्ण से उत्पन्न सिर दर्द में टाका कम्बेक्स’ कैप्सूल ‘पी. डी.’ का 1-1 कैप्सूल दिन में 2 बार दें।
  10. नाक बंद होने से सिर दर्द टिचर बेंजोइन (Tincture Benzoin) की कुछ बूँदे गर्म उबलते पानी में डालकर भाप सुँघाएँ। अथवा ‘डिस्ट्रान’ या ‘इंड्रीन’ वाइथ क. की 2-4 बूँदें नाक में 3-4 बार नित्य डालें।

सिरदर्द का उपचार: मिश्रित औषधियों की प्रभावी चिकित्सा विधि:-

सिर्दर्द के राहत और उपाय
सिर्दर्द के राहत और उपाय
  1. नजला जुकाम के कारण सिर दर्द हो तो फेबरेक्स प्लस’ (Febrex plus) 1 टिकिया, डकडान 1 टिकिया, ‘इसोकिन 300 मि. ग्रा. 1 टिकिया, सीलिन 100 मि. ग्रा. 1 टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2 या 3 बार चाय के साथ दें।
  2. शरीर में रक्त की कमी (Anaemia) से उत्पन्न सिर दर्द हो तो ‘फीफोल (Fefol) 1 कैप्सूल बीकासूल्स 1 कैप्सूल तथा लिबरियम 1 टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2 या 3 बार दें।
  3. जुकाम, फ्लू, ज्वर और बदन के दर्द के साथ सिर दर्द होने पर डिस्प्रिन (Disprin) 1 टिकिया, सीलिन (Celin) 100 मि. ग्रा. की 1 टिकिया, बैक्ट्रिम (Bactrim) 1 टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2-4 बार आराम होने तक।
  4. बुढ़ापे का कष्टदायक सिर दर्द (Intolerable headache) होने पर डिस्प्रिन (रेकिट्स) 1 टिकिया, फोर्टाजेसिक (Fortagesic) ‘बिन मेडिकेयर’ की 1 टिकिया। दोनों को पीसकर ऐसी 1 मात्रा दिन में 2-4 बार खिलावें।
  5. वृद्धों को अक्सर तंग करने वालाशिरः शूल कैल्पोल सीरप (Calpol) ‘बेल्कम 10 मि. ली. (2 चम्मच), कैफियाएस्प्रिन (वायर) 2 टिकिया। दोनों को एक साथ दिन में 3-4 बार तक सेवन करावें।

सावधान- दवा देने से पहले यदि रोगी को कब्ज हो तो ‘मैगसल्फ’ का जुलाब देका कब्ज को दूर करें।

  1. चिंता या रक्तचाप से उत्पन्न सिर में दर्द होने पर इक्वानिल 200 मि. ग्रा. की 1 टिकिया, सर्पासिल आधा टिकिया, सोडियम गार्डीनल 1 टिकिया। तीनों को पीसकर पुड़िया बनालें। ऐसी एक मात्रा दिन में 3 बार दें।
  2. जुकाम में नाक बंद होने से सिर दर्द का कष्ट हो तो ‘सीलिन’ (Celin) 100 मि. ग्रा. की 1 टिकिया सुप्रिन (Suprin- मार्टिन हैरिस) 1 टिकिया, डेकडान (Decdan) 1 टिकिया। ऐसी 1-1 मात्रा दिन में 3 बार दें।
  3. बेचैनी एवं चिंताजनक सिर में दर्द होने पर ये दवा दे इक्वानिल’ या ‘डायजीपाम’ (Diazepam) की 1 टिकिया, पाइराल्जिन (एलेम्बिक क.) टिकिया। ऐसी 1-1 मात्रा दिन में 3 बार दें
  4. हिस्टीरिया एवं मिर्गी रोग में सिर दर्द होने पर नोवाल्जिन (Novalgin) 1 टिकिया, डायजीपान (Diazepam) 1 टिकिया, वेगानिन (Veganin) ‘वार्नर’ की 1 टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 3 बार दें।
  5. स्नायु एवं मानसिक विकारों से उत्पन्न होने वाला सिर दर्द मे ये देना होता है स्क्लेरोवियोन’ 1 टिकिया, सेरीडोन 1 टिकिया एटारेक्स (यूनीकेम) 100 मि. ग्रा. की 1 टिकिया सीलिन 100 मि. ग्रा. 1 टिकिया। सबको पीसकर 1 पुड़िया बनालें। ऐसी 1 पुडिया दिन में 3 बार।
  6. ज्वर युक्त सिर दर्द/ बुखार के साथ सिर मे दर्द होने पर पाइराल्जिन (एलेम्बिक) 2 टिकिया, बेरिन 100 मि. ग्रा. की 1 टिकिया, सीलिन 100 मि. ग्रा की 2 टिकिया। सबको पीस कर एक पुड़िया बना लें। ऐसी एक पुड़िया दिन में 3 बार चाय अथवा गर्म जल के साथ।
  7. आधे सिर का दर्द होने पर ये देना चहिये वैसीग्रेन 1 टिकिया, गार्डीनल (Gardinal) 1 टिकिया, सीलिन (Celin) 100 मि. ग्रा. की। टिकिया लेकर पीसकर एक पुड़िया बना लें। ऐसी 1 पुड़िया दिन में 3 बार जल से दें।

चिकित्सकीय अनुभवों द्वारा अनुभूत चिकित्सा-

साधारण शिरः शूल में सामान्य उपाय- ए. पी. सी. 1 टिकिया + सीलिन 100 मि. ग्रा. की 1 टिंकिया। ऐसी एक मात्रा दिन में 3 बार दें।

एनाल्जिन (Analgin) 1 टिकिया + सीलिन (Celin) 100 मि. ग्रा. की 1 टिकिया। ऐसी एक मात्रा दिन में 3 बार दें।

तीव्र प्रकार के सिर दर्द में- इस्जीपायरीन (Esgipyrin) 1 टिकिया, नोवाल्जिन (Novalgin) 1 टिकिया, सीलिन (Celin 500 मि. ग्रा की 1/4 टिकिया, सेरीडोन (Saridon) 1 टिकिया। सबको पीसकर एक पुडिया बना लें। ऐसी 1 पुडिया दिन में 3 बार दें।

ये ब्लॉग सिर्फ जानकारी के लिए है कोई भी दवा का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य संपर्क करे !
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